राजस्थानी भाषा को मान्यता मिले इसके लिए राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने कल शाम छह बजे राष्ट्रपति जी को मिलकर ज्ञापन दिया था। प्रतिनिधी मण्डल में समिति के राष्ट्रीय संयोजक अभिषेक मनु सिंघवी, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री जगदीश धनकड़, राष्ट्रीय सलाकार पद्म मेहता, जेएनवीयू कुलपति भंवरसिंह राजपुरोहित, मेहरानगढ़ के महानिदेशक महेन्द्रसिंह नगर व प्रदेश संयोजक प्रो. कल्याणसिंह शेखावत भी शामिल थे। राजस्थानी भाषा एक हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन भाषा है, इसके लिए दस करोड़ लोगों की राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलाने के लिए समिति ने कल नई दिल्ली में राष्ट्रपति जी को ज्ञापन दिया I
इससे पहले भी राज्य सरकार ने विधानसभा की ओर से 2003 में संकल्प प्रस्ताव पारित कर संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार को भेजा था, परन्तु इसके बावजूद अब तक मान्यता नहीं मिली। जबकि राजस्थानी भाषा केन्द्रीय साहित्य अकादमी से मान्यता प्राप्त है तथा बी.ए., एम.ए. और एमफिल कोर्स भी चलाए जा रहे हैं। राजस्थानी भाषा में आकाशवाणी और दूरदर्शन पर समाचार प्रसारित होते हैं, प्रादेशिक चैनलों में ई.टी.वी. टेलीवीजन नेटवर्क पर ई.टी.वी. राजस्थानी नामक चैनल भी है...!!! यहाँ तक अमरीका में ओबामा प्रशासन ने मारवाड़ी बोली यानी राजस्थानी भाषा को मान्यता तक दे रखी है तो फिर हमारे देश में मान्यता देने में भारत सरकार को क्या समस्या है। अब भी अगर राजस्थानी भाषा को अनुसूची में शामिल नहीं किया गया तो राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के साथ साथ राजस्थान के सभी निवासी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनचेतना के कार्यक्रम चलाएगा।
राजस्थान कि जनता को पूरा विश्वास है कि माननीय राष्ट्रपति जी हम राजस्थानियों कि भावनाओं का सम्मान करते हुए हमारी राजस्थानी भाषा को जरुर मान्यता प्रदान करेंगी...!!!
No comments:
Post a Comment