Sunday, 28 August 2011
चीअर्स..........दोस्तों......!!!!!!!!!!
कुछ इस तरह से गुजरती अब, हमारी हर शाम है,
एक हाथ में तस्वीर है उनकी, तो एक हाथ में प्याला-ऐ-जाम है...!!!
बेकार है याद दिलाना उसकी, के शये ये हराम है,
सब कुछ भूल जाते है हम, जब कोई लेता उनका नाम है...!!!
हम तो ये ही कहेंगे, में बेवजह बदनाम है,
दर्द-ऐ-दिल से हमको तो, पहुंचाती ये आराम है...!!!
तबाह करती है ये शराब, गलत उसपे ये इलज़ाम है,
मददगार का बदनाम होना तो, कुदरत का निज़ाम है...!!!
हम ग़मखारों का मे को, तह-ऐ-दिल से सलाम है,
बिना इसके तो खुदा जाने, क्या हमारा अंजाम है...!!!
चीअर्स..........दोस्तों......!!!!!!!!!!
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